भारत में संपत्ति सृजन में विफलता का प्राथमिक कारण है अक्षम शासन, अदूरदर्शी नेतृत्व और बूरी नीतियां। अब समय है हम-साथ मिलकर-इस चुनौती को स्वीकार करे और शासन और राजनीति के नए मॉडल के साथ भारत की दिशा बदले।
यह एक क्रांतिकारी विचार है जो गरीबी को खत्म कर सकता है, करोड़ों नौकरियां पैदा कर सकता है जिसकी युवा भारत को सख्त जरूरत है और सरकार को और अधिक प्रभावी बना सकता है। धन वापासी एक ऐसा समाधान है जो सभी भारतीयों को धन सृजन और समृद्धि के लिए अपने मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए आजादी दे सकता है।
नयी दिशा उन लोगों को एक साथ लाने का मंच है, जो भारत को समृद्ध बनाना चाहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता,समानता और धन सृजन के एजेंडे पर नागरिकों को एकजुट करना है। नयी दिशा के 5 समृद्धि सिद्धांत और 5 शुरुआती समाधान भारत में शासन और राजनीति के लिए एक नया मॉडल तैयार करेंगे।
नयी दिशा- प्रौद्योगिकी उद्यमी और एशिया की डॉट कॉम क्रांति में अग्रणी राजेश जैन द्वारा शुरू की गयी नयी पहल है। हमारे सदस्यों में सभी क्षेत्र और उम्र के लोग शामिल हैं - छात्र, व्यवसायी, वकील, अर्थशास्त्री, किसान, और युवा पेशेवर।
नयी दिशा का मानना है कि गरीबी भारत की नियती नहीं है। हमारा नज़रिया है भारतीयों के लिए स्थायी समृद्धि लाना, दो पीढ़ियों में नहीं बल्कि दो चुनावों के मध्य में। नयी दिशा का लक्ष्य उन कार्यों पर विराम लगाना है जो धन को नष्ट करते हैं तथा उन कार्यों को अमल में लाना है जो व्यापक स्तर पर धन सृजन को गति दे, वस्तुतः भारतीयों को समृद्ध बनाए।
हम निम्नलिखित समृद्धि सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हैं:
1. स्वतंत्रता
2. भेदभाव न करना
3. हस्तक्षेप न करना
4. सीमित सरकार
5. विकेन्द्रीकरण
नयी दिशा के दो प्रमुख समाधान है - प्रत्येक भारतीय परिवारों को 1लाख रूपए लौटाना तथा वर्तमान में मौजुद सभी करों को 10 प्रतिशत के दायरे में लाना- प्रत्येक परिवार के कूल वार्षिक आय पर 1.5 लाख रूपए का लाभ पहुंचाना।
हर भारतीयों के हाथों में अधिक से अधिक धन देने से, यह उनके आसपास एक सुरक्षा कवच का कार्य करेगा, गरीबी का खात्मा होगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे, सरकार के विकास को रफ्तार देगा साथ ही धन सृजन के लिए भारतीयों को सक्षम बनाएगा। इस धन का सृजन सरकारी अपशिष्ट और अक्षमता को कम कर, अनावश्यक व बंद पड़े सरकारी उद्यमों को बेच तथा अप्रयुक्त तथा कम उपयोग में आने वाले संसाधनों के सही इस्तेमाल से किया जाएगा। 10 प्रतिशत कर की दर यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन उनके लालच के लिए नहीं।
अगर आप मानते हैं कि गरीबी हमारा भाग्य नहीं है तो नयी दिशा को ज्वाइन करें। साथ ही, अगर आपको लगता है सभी भारतीयों का परम कर्तव्य है कि भारत को सम्पन्न और आधुनिक राष्ट्र बनाये, तो नयी दिशा के साथ जुड़ें।
अगर आपको हमारे सिद्धांतों पर भरोसा है तो इस परिवर्तन को लाने के लिए हमारा साथ दें और नयी दिशा का हिस्सा बनें।
खनिज संपदा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संदर्भ में भारत सबसे अमीर देशों में से एक है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि देश की कुल खनिज संपत्ति 5011 लाख करोड़ रुपये से अधिक की होगी। वहीं नयी दिशा का अनुमान है कि भारत सरकार के अधिन तकरीबन 300लाख करोड़ रुपये की अप्रयुक्त सार्वजनिक भूमि है। यदि हम खनिज संपदा के कुल मूल्य का 20 प्रतिशत भी लें, यानि कि 1000 लाख रूपये तो हमारे पास कुल 1300 करोड़ रूपए का सार्वजनिक धन जमा हो जाएगा। यह राशि इतनी है कि अगले 50 वर्षों तक प्रत्येक परिवार को 1 लाख रुपए वार्षिक तौर पर देने के लिए पर्याप्त है।
किसी भी सार्वजनिक संपत्ति का मुद्रीकरण कर आम जनता को देना, कानूनी तंत्र से ज्यादा राजनीतिक इच्छा का प्रश्न है। जहां तक कानूनी प्रावधानों और नीतियों की बात है तो, सार्वजनिक धन का मुद्रीकऱण करने में किसी भी निर्वाचित सरकार के कार्यकाल में मुश्किल नहीं होता है।
2016 में 'भारत के नागरिक पर्यावरण और उपभोक्ता अर्थव्यवस्था पर घरेलू सर्वेक्षण' के अनुसार, 99% भारतीय परिवारों के पास पहले से ही बैंक में खाते हैं। सभी के बैंक खातों को आधार से जोड़ने से,सार्वजनिक संपत्ति के वितऱण के समय हम व्यक्तिगत खाता धारकों की आसानी से पहचान कर सकते हैं।
नयी दिशा उन लोगों को एक साथ लाने का मंच है, जो भारत को समृद्ध बनाना चाहते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता,समानता और धन सृजन के एजेंडे पर नागरिकों को एकजुट करना है। नयी दिशा के 5 समृद्धि सिद्धांत और 5 शुरुआती समाधान भारत में शासन और राजनीति के लिए एक नया मॉडल तैयार करेंगे।
नयी दिशा- प्रौद्योगिकी उद्यमी और एशिया की डॉट कॉम क्रांति में अग्रणी राजेश जैन द्वारा शुरू की गयी नयी पहल है। हमारे सदस्यों में सभी क्षेत्र और उम्र के लोग शामिल हैं - छात्र, व्यवसायी, वकील, अर्थशास्त्री, किसान, और युवा पेशेवर।
नयी दिशा का मानना है कि गरीबी भारत की नियती नहीं है। हमारा नज़रिया है भारतीयों के लिए स्थायी समृद्धि लाना, दो पीढ़ियों में नहीं बल्कि दो चुनावों के मध्य में। नयी दिशा का लक्ष्य उन कार्यों पर विराम लगाना है जो धन को नष्ट करते हैं तथा उन कार्यों को अमल में लाना है जो व्यापक स्तर पर धन सृजन को गति दे, वस्तुतः भारतीयों को समृद्ध बनाए।
हम निम्नलिखित समृद्धि सिद्धांतों द्वारा निर्देशित हैं:
1. स्वतंत्रता
2. भेदभाव न करना
3. हस्तक्षेप न करना
4. सीमित सरकार
5. विकेन्द्रीकरण
नयी दिशा के दो प्रमुख समाधान है - प्रत्येक भारतीय परिवारों को 1लाख रूपए लौटाना तथा वर्तमान में मौजुद सभी करों को 10 प्रतिशत के दायरे में लाना- प्रत्येक परिवार के कूल वार्षिक आय पर 1.5 लाख रूपए का लाभ पहुंचाना।
हर भारतीयों के हाथों में अधिक से अधिक धन देने से, यह उनके आसपास एक सुरक्षा कवच का कार्य करेगा, गरीबी का खात्मा होगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे, सरकार के विकास को रफ्तार देगा साथ ही धन सृजन के लिए भारतीयों को सक्षम बनाएगा। इस धन का सृजन सरकारी अपशिष्ट और अक्षमता को कम कर, अनावश्यक व बंद पड़े सरकारी उद्यमों को बेच तथा अप्रयुक्त तथा कम उपयोग में आने वाले संसाधनों के सही इस्तेमाल से किया जाएगा। 10 प्रतिशत कर की दर यह सुनिश्चित करेगा कि सरकारी कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए पर्याप्त है, लेकिन उनके लालच के लिए नहीं।
नयी दिशा के साथ विचारशील, प्रतिबद्ध व्यक्ति शामिल हैं, जो देश की राजनीतिक कामकाज में बदलाव लाना चाहते हैं। अगर आप नयी दिशा के उद्देश्य पर विश्वास करते हैं, तो आप भी इसके सदस्य बनें औऱ भारत को संपन्न बनाने की ही हमारी मुहिम में साथ मिलकर काम करें।
30 करोड़ से अधिक भारतीय, अत्यधिक गरीबी में रहते हैं। भारतीय परिवार की औसत आय सिर्फ 1.2 लाख प्रति वर्ष है। प्रत्येक परिवार को हर साल 1 लाख रुपये देने से लगभग आधे भारतीय परिवारों की आय दोगुनी हो जाएगी। यह ज्यादातर भारतीयों के लिए पर्याप्त धन है और इससे वे अपने अनुसार अपने जीवन में आवश्यक बदलाव ला सकते हैं।
इसके अलावा नयी दिशा द्वारा अन्य मौलिक सुधारों पर भी ध्यान दिया जाएगा। रोजगार के अवसर पैदा किये जायेंगे तथा छोटे व बड़े व्यपारियों के लिए देश में व्यापार करना आसान कर दिया जाएगा।
खनिज संपदा और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संदर्भ में भारत सबसे अमीर देशों में से एक है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि देश की कुल खनिज संपत्ति 5011 लाख करोड़ रुपये से अधिक की होगी। वहीं नयी दिशा का अनुमान है कि भारत सरकार के अधिन तकरीबन 300लाख करोड़ रुपये की अप्रयुक्त सार्वजनिक भूमि है। यदि हम खनिज संपदा के कुल मूल्य का 20 प्रतिशत भी लें, यानि कि 1000 लाख रूपये तो हमारे पास कुल 1300 करोड़ रूपए का सार्वजनिक धन जमा हो जाएगा। यह राशि इतनी है कि अगले 50 वर्षों तक प्रत्येक परिवार को 1 लाख रुपए वार्षिक तौर पर देने के लिए पर्याप्त है।
किसी भी सार्वजनिक संपत्ति का मुद्रीकरण कर आम जनता को देना, कानूनी तंत्र से ज्यादा राजनीतिक इच्छा का प्रश्न है। जहां तक कानूनी प्रावधानों और नीतियों की बात है तो, सार्वजनिक धन का मुद्रीकऱण करने में किसी भी निर्वाचित सरकार के कार्यकाल में मुश्किल नहीं होता है।
2016 में 'भारत के नागरिक पर्यावरण और उपभोक्ता अर्थव्यवस्था पर घरेलू सर्वेक्षण' के अनुसार, 99% भारतीय परिवारों के पास पहले से ही बैंक में खाते हैं। सभी के बैंक खातों को आधार से जोड़ने से,सार्वजनिक संपत्ति के वितऱण के समय हम व्यक्तिगत खाता धारकों की आसानी से पहचान कर सकते हैं।
कोई भी राज्य सरकार, मुफ्त में मूल्यवान संसाधन जैसे कि- भूमि आदि किसी भी उद्दयोग को नहीं देगी। जैसा कि हम सब जानते हैं, सार्वजनिक संपत्ति आम जनता की है और यदि सरकार यह भूमि किसी औऱ को मुफ्त में देती है तो वह हमारे अधिकारों का हनन कर रही है। दूसरी बात सरकारी नियमों व जटिल कानून के चलते सार्वजनिक स्त्रोतों के खरीददारों में कमी आई है। जब लोग धनवान होंगे तब उन्हें व्यापार करने में आसानी होगी।
जिससे विभिन्न कंपनियों द्वारा संसाधनों की मांग भी बढ़ेगी और बेहतर तरीके से इस्तेमाल भी किया जाएगा। विदेशी देशों और कम्पनियों को भारतीयों के साथ संपत्ति खरीद के समय समनाता का व्यवहार ही करना चाहीये। क्योंकि हमारा उद्देश्य भारतीयों को अधिक से अधिक रिटर्न देना है। इसके अलावा जैसा कि हम सब जानते है राष्ट्रीय सुरक्षा में शामिल स्त्रोतों के नियमों में कुछ अपवाद भी हो सकते हैं।
जैसा कि पहले ही कहा गया है कि भारत में इतना सारा सार्वजनिक धन है कि हर साल प्रत्येक भारतीय परिवार को 1 लाख रुपए देने के बाद भी अगले 50 सालों तक धन बना रहेगा। इस धन के कुछ दशक बाद, हमें किसी भी पुनर्वितरण या कल्याणकारी कार्यक्रमों की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि तब तक भारतीय समृद्ध होंगे ।
नयी दिशा का लक्ष्य है कि देश के प्रत्येक परिवार को प्रति वर्ष 1 लाख रुपए धन प्रदान करना । जिससे भारतीयों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा और अवसरों में बढोत्तरी होगी। अवसरों की कमी के कारण जो परिवार सामाजिक व आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, उन्हें इस समस्या से निजात प्राप्त होगा।
नयी दिशा का मानना है कि सार्वजनिक धन की वापसी के साथ-साथ, भारतीय युवाओं के लिए लाखों नौकरियों का सृजन भी आवयश्क है। ये नौकरियां तब तक पैदा नहीं की जा सकती है जब तक लोगों के पास व्यवसाय शुरू करने के लिए धन व व्यवसाय करने के लिए सकारात्मक माहौल न मिले। नयी दिशा, अर्थव्यवस्था को उदार बनाने का प्रयास कर रही है। जिससे लोग व्यवसाय कर सकें और नये रोजगार उत्पत्न हों। इसके अलावा, लोग इस धन का उपयोग अच्छी नौकरी पाने के लिए की जाने वाली पढ़ाई पर और रोजगार कौशल पर भी कर सकते हैं।
नयी दिशा के लिए शुरूआती फंड, राजेश जैन द्वारा ही लगाया गया है। अधिक फंड के लिए, हम लोगों को आंमत्रित करेंगे ताकि वे स्वेच्छा से फंड दे पायें। फंड की यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी।
नयी दिशा, राजेश जैन के द्वारा शुरू की गयी एक पहल है। हमारे सदस्य, हर व्यवसाय और उम्र के हैं जैसे- छात्र, बिजनेसमैन, वकील, अर्थशास्त्री, किसान और युवा पीढ़ी। इस पहल को बढ़ाने के लिए कई अन्य लीडर्स, चैम्पियन और वॉलीयंटर्स की जरूरत है। हम ऐसे लोगों को शामिल करना चाहते हैं जो हमारे देश को सम्पन्न बनाने और गरीबी दूर करने के लिए हमारा साथ देंगे।
अगर आप मानते हैं कि गरीबी हमारा भाग्य नहीं है तो नयी दिशा को ज्वाइन करें। साथ ही, अगर आपको लगता है सभी भारतीयों का परम कर्तव्य है कि भारत को सम्पन्न और आधुनिक राष्ट्र बनाये, तो नयी दिशा के साथ जुड़ें।
अगर आपको हमारे सिद्धांतों पर भरोसा है तो इस परिवर्तन को लाने के लिए हमारा साथ दें और नयी दिशा का हिस्सा बनें।
हमें खुशी है कि आपने ये प्रश्न पूछा। आप हमें कई तरीकों से अपना समर्थन दे सकते हैं:
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नई दिशा, विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे - नई दिशा ऐप, ब्लॉग, फोरम और सोशल मीडिया; फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम, वाट्सअप आदि के जरिए अपने सदस्यों से सम्पर्क में रहेगी और समर्थन प्रदान करेगी। नई दिशा को मिलने वाला समर्थन जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा, हम स्थानीय चैप्टर्स भी रखेंगे जो नियमित अंतराल पर मीटिंग और इवेंट को आयोजित करेंगे।
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